आप अल क़ाहिरा (Cairo) अल मौज़े मा सन 524 हिज़री ना रबी उल आखिर नि चौथी (4th) राते इतवारे (Sunday) पैदा थया। आपना बावाजी इमाम आमिर a.s. यह आपनी विलादत अने आपना ऊपर इमामत नि नस नि बिशारत ना कागज़ों लिखा। एक कागज़ अल हुर्रा मलेका a.q. ने लिखो। आप यह इमामी फ़रमान मुताबिक यह कागज़ नि इज़ाअत अशया किदी, आप यमन मा अने दुआत हर जगह तय्यब इमाम a.s. वास्ते इमामात नु बैअत लिदु अने इहना नाम सि दआवत नि काइम किदी।
मिस्र मा इब्ने मदयन a.q. बाबुल अबवाब अने इहना जमाई अबू अली a.q. तय्यब इमाम a.s. तरफ़ दआवत नि क़ाइम किदी।अब्दुल मज़ीद क़सरे इमामी ना ज़ाहिर उमूर नु "हाफ़िज़" थो, इमामत नो मुद्दई नोतो हत्ता के अली इब्ने अफ़ज़ल बगावत किदी अने अल क़ाहिरा अल मौज़े पर गलबो किदो औलिया अल्लाह नो क़त्ल आम किदु अने जे बाकि रहया ते ने भगाया ते वक्त अब्दुल मज़ीद रियासत नि लालच मा आवी नि बागी बनी गयो। फ़ातिमी ममलकत मा ज़बरदस्त अज़तराब इनतशार थयो अने इमाम आमिर a.s. आ हादसात नि पेशगोई करी गया था अने सफ़र नु इंतज़ाम भी किदु थु। आप नि शहादत ना बाद आ बगावत थई ते वक्त अल काज़ी अबू अलीa.q. बाब अल अबवाब यह इमाम तय्यबa.s. ने मय दुआत व फ़ुज़ला लई नि क़ाहिरा सि निकली गया।
मिस्र थयु अंधारु यकायक, सूरज छे अजब अंधारा मा। सिधारा दिनी सूरज यहा सी लयली हुदुद ना तारा मा। कहा गया ते ने सिवाए चन्द मुख़्लिस हदूद कोई नि ख़बर नहीं। मक़रेज़ी लिखे छे कि इमाम आमिर ना दिकरा नि मस्जिद अबी तुराब (मस्जिद अल रहमत) मा सी अबू तुराबa.q. ये एक ज़न्ज़बील मा छुपावी नि कहीं चला गया अने अल हाफ़िज़ अब्दुल मज़ीद सी यह ख़बर ने मख़फ़ी राखी। अब्दुल मज़ीद इमामत नि अमानत मा ख़्यानत किदी। अब्दुल मज़ीद अव्वल सानी नि मिसल खोटो दावो किदो इहनु मुअतकिद गुमराह छे, रशीद नथी।
इमामत तय्यबa.s. इमामों ना फ़र्ज़ंदो मा क़्यामत तक जारिया सारिया रहसे। सादिक़ इमाम फ़रमावे छे कि अल्लाह वासते हर चीज़ मा तब्दील करवा नि मशियत छे मगर इमामत मा नहीं मतलब कि क़्यामत तक इमामत फ़र्ज़ंदो मा अने फ़र्ज़ंदो ना फ़र्ज़ंदो मा जारिया रहसे। हसनa.s. हुसैनa.s. ना बाद कोई बे (२) भाईयों मा मुनकसम नहीं थाए। इमाम आमिर ना मख़्सूस हदूद इब्ने मदयन , रसलान, अज़िज़ी, नसलान, अने कुन्स हता (र.ज़.)।
इहना (चार हुदूद) सामने इमाम कई पेशगोई किदी यह समझा नहीं तो इब्ने मदयन ने पुछु इब्ने मदयन बतायु कि इमामa.s. पोता ना गयबत नि ख़बर करी छे जे कत्ल ना सबब थासे। अने इम बतावे छे कि अली बिन अफ़ज़ल ना गलबा बाद यह तमने बुलावी ने कहसे कि इमामa.s. सि बरआत करो व इल्ला मैं तमने कत्ल करिस। तो नसलानr.z., अज़िज़ीr.z., अने रसलानr.z. तो कत्ल थई जासे अने ऐ कुन्सr.z. तो यमन भागी जासे लेकिन पाछो आवसे अने कत्ल थासे अने ऐ अज़िज़ीr.z. मैं तारा घर मा छिपी जइस तू बाद मा तमहारा सगला ने कत्ल करवा बाद दुश्मनों मने पकरसे अने मने भी कहसे कि इमाम सि बरआत करो तो मैं दीन ऊपर दुनिया ने अख़्तयार नहीं करु, अने शहीद किदो जइस।
आमिर इमामa.s. नि शहादत बाद अने तय्यब इमामa.s. ना इसतताद बाद अब्दुल मज़ीद कैद किदो गयो अने इब्ने मदयनr.z. अने इहना चार साथियों शहीद किदा गया इहना साथ और घना मुअमिनीन मारा गया। 600 (छ सौ) बइराओ बाब अल मगरिब तरफ़ भागी। जे वक्त अली बिन अफ़ज़ल अने अब्दुल मज़ीद ना दिकरा हसन नु ज़ुल्म घनु थयु तो लोगों उठा अने इहने कत्ल किदु अने अब्दुल मज़ीद ने कैद सि छुरायु अने इहना दिकरा हसन नि कैद किदु तो एक लाख ना करीब लोगो हसन ने कैद सि निकालवा नु मुतालबो किदो अने हरयाली पर आग लगावी दिदी। अब्दुल मज़ीद ने इम थयु कि लोगो इहनि मारी नाकसे, तो इहनि ज़हर सि मारी नि इहनि लाश नि लोगो ना सामने फ़ेंकावी नि लोग नि ख़ामोश किदु।
हवे अब्दुल मज़ीद नु इक्तदार मज़बूत थई गयु। पहले तो हुर्रा मलेकाa.q. ने लिखतो कि "मन वली अहदे अल मुस्लेमीन व इब्न अमीरुल मुअमनीन" अने पछे लिखवा लागो कि "मन अमीरुल मुअमनीन" (I'm Ameer al Mumineen)। तो आप इहनि जवाब लिखो कि याद राख "अना इब्नतो अहमद" मैं अहमद नि दिकरी छू। गई काले तू वली अहद अल मुस्लेमीन व इब्न अमीरुल मुअमनीन हतो अने आजे अमीरुल मुअमनीन बनी बैठो छे?! तारो दावो खोटो छे। अने अहलुल दआवत नि इहनी बगावत अने गद्दारी सि वाकिफ़ किदा। आप यह भी इहना सि बराअत किदी अने मुमिनीन ने भी इहना सि बराअत करवा नु अमर किदु।
ते बाद अब्दुल मज़ीद अहमद बिन अली ने यमन मोकली नि इहना ज़रिये एक मोहटी खिलकत ने गुमराह किदा अने मिसाल मआविया अमवाल खरची नि सगला ने अपनी तरफ़ किदा अने झूठी रिवायत ने राइज करावी जिम अबू हुरेरा मआविया सि चार लाख दिरहम लई नि चार लाख हदीस नि बनावट किदी, के जे हदीसो सी अहलुल बैयत अ.स. ना दुशमनों नि खिलाफ़त नि ताईद थाए, लेकिन अल सय्यदा हुर्रा मलेका अने दाई ज़ोइब इमाम तय्यबa.s. नि दआवत नि मज़बूत करता रहया महफ़ूज़ करता रहया। आप आले मोहम्मदs.a. ना अलूम ना दरिया हता उलामा कबार पर्दा ना पीछे सि आप सि इस्तफ़ाद करता आपना इल्म व फ़ज़्ल अने हुस्न सियासात ना सबब यमन ना सालातीन आपना ताबेअ अने ताइअ हता। आपनु वफ़ात नु वक्त करीब थयो ते वक्त दाई ज़ोइबr.z. नि यमन अने इहना साथे जोराएला ज़ज़ाइर (हिन्द सिन्द) ना दाई (मालिक) बनाया। ते पहले दाई याहया बिन लमकa.q. आपने क़ाइम करी चुका था। आप अपनी वसियत लिखी अने खुद ना अमवाल मा सी नफ़ाइस (किमती) जवाहिर ने इमाम तय्यबa.s. नि खिदमत मा (हदिया) पेश किदा अने वसियत ने नाफ़िज़ करवा वास्ते अहमद अल सुलयही ने मुन्तख़ब किदा। इहना ऊपर हाज़रीन ने शाहिद राखा अहमद अल सुलयही इमाम तय्यब नि खिदमत मा पेश करी नि दुआ अने रहमत तलबी किदी।
सन ५३१ ना रजब नि पेहली तारीख आ वसीत नामे लिखु अने एक साल बाद सन ५३२ हिजरी ना शआबान नि बाविस्मी (२२) वफ़ात थया। ९२ साल नि उम्र मा ५५ साल ख़िदमत करी नि अने ज़ई जबल ना जामेआ मस्जिद ना एक जानिब मा वफ़ात थया।